उनका चलता है - A Satire

I have tried writing a political satire for the first time after class 9 i.e. 8 years later.



तो देखो ऐसा है कि,
जो भारत में सब कुछ कंट्रोल करते हैं
वो हैं नेता, और वो नेता हैं तो उनका चलता है |
हम मेहनत करते हैं, देश की तरक्की में हाथ बटाते हैं
और वो अपनी कुर्सी पे बैठ सब खा जाते हैं,
पर हम क्या कह सकते हैं
वो तो नेता हैं उनका चलता है |

हम मंदिर भी बनाएँगे,
हम मस्जिद भी बनाएँगे,
हम आपस में लड़ेंगे,
हम लड़ते लड़ते मर जाएंगे ।
वो अपनी कुर्सी पे बैठ के आराम से खाएंगे
जानते हैं क्यों?
क्योंकि वो नेता हैं और उनका चलता है ।

हम कैब्स में बैठे तो ऑटोमोबाइल सेक्टर को घाटा हुआ,
हमने पूछा विकास कहा है तो संसद में सन्नाटा हुआ,
उसी बात पर मिल जाएगा कोई न्यूज़ चैनल पर चिल्लाता हुआ,
और वो अपनी कुर्सी पर बैठा है पेट भरके खाता हुआ |
आम आदमी क्या ही करे
वो तो नेता है उनका चलता है |

प्याज महंगे हुए लेकिन वो खाते नहीं ।
ट्रेन महंगे हुए लेकिन वो उनसे जाते नहीं ।
ये अमीर लोग हैं इनकी परेशानियां अलग हैं,
हर एक तर्क पर इनकी कहानियां अलग हैं ।
कहानी सुनाने में ज़ुबान अक्सर इनका फिसलता है,
आप बताइये कुछ कर सकते हैं आप?
नहीं, क्योंकि वो नेता है उनका चलता है ।

वो योजना बनाएँगे और ग़रीबों को फासएंगें,
अमीर तो इनके अपने हैं वो यूँ ही मान जायेंगे,
वोट का तो इंतज़ाम हो गया ये फिर से जीत जायेंगे ।
मिडिल क्लास तो एक बार नज़रअंदाज़ हो गया,
ये फिर पिसे जाएंगे ।
पर आप तो जानते ही हैं,
की वो नेता हैं उनका चलता है ।

वाहवाही चाहिए थी तो देश बाँट दिया ।
वाहवाही चाहिए थी तो द्वेष बाँट दिया ।
धर्मों के बीच क्लेश बाँट दिया ।
फिर ये बोलते हैं,
हमने तो जनता के बीच बहुत कुछ बाँटा है ।
कारण बहुत सरल है, जानते हैं क्या?
वो नेता हैं उनका चलता है ।

ये आखिरी वाला तो आप सब के साथ हुआ होगा !
ज़रूरी काम था हम गाड़ी लेकर बहार निकले
किस्मत हमारी ख़राब थी नेताजी भी बहार निकले
सड़कें खाली करा दी इंतज़ार की घड़ी और बढ़ा दी ।
क्योंकि नेताजी का समय, समय होता है,
और आम व्यक्ति का समय कुछ भी नहीं ।
नेताजी का काम काम होता है,
और हमारा कुछ भी नहीं ।
पर अब तक तो आप समझ ही गए होंगे,
कि वो नेता हैं उनका चलता है ।



P.S. It's written in a light mood, may you read and react in the same mood.


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